

– झूठे-पे-झूठे दावे करती नाकाम सरकारें
– लम्बे-चौड़े भाषणों से नहीं होगा देश का भला, उसके लिए धरातल पर काम भी करना पड़ेगा
पिछले 70 वर्षों से इस देश की जनता को भ्रष्टाचारमुक्त करने के सब्जबाग दिखाकर हमेशा मूर्ख बनाकर भाजपा-कांग्रेस और अन्य दल सत्ता सुख भोगते आए हैं, परन्तु आज तक धरातल पर भ्रष्टाचारमुक्ति के लिए कोई भी कार्य नहीं किया गया है। जितनी भी योजनाएं लाई जाती है वह या तो इन राजनीतिज्ञों के स्वयं को फायदा पहुंचाने अथवा इनके आकाओं बड़े पूंजीपतियों को ही फायदा पहुंचाने तक सीमित होती है। आम जनता को मिलता है तो केवल और केवल आश्वासन और वह हर बार स्वयं को ठगा सा महसूस करता है। देश को स्वच्छता के नाम पर खुले में शौचमुक्त करने का दावा तो सभी सरकारें करती रहीं, परन्तु धरातल की सच्चाई यह है कि आज भी लोटा ले खेत में शौच को जाते हैं गांव के लोग। जब आप खुले में शौचमुक्त ही नहीं कर सके तो देश केा भ्रष्टाचारमुक्त क्या खाक करेंगे?
बूढ़े (अवधिपार हो चुके) और अनपढ़ नेता (कई नकली डिग्रियां लिए) इस देश का भाग्य लिखने की बाते करते हैं, जिन्हें खुद ढंग से अपना नाम तक नहीं लिखना आता। हमारे देश में लगभग हमेशा ही चुनाव चलते रहते हैं किसी न किसी राज्य के चुनाव, कभी कोई चुनाव, कहने का भाव है हर समय देश में चुनावी माहौल रहता है, जिसका हमारे लगभग सभी नेता खूब फायदा उठाते हैं और जन भावनाओं से खिलवाड़ कर चुनावी वायदे कर आमजन को मूर्ख बनाकर उनके वोट लेते हैं और सत्तासुख भोगते रहते हैं।
आपको रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड, अस्पताल, डाकघर, प्रशासनिक कार्यालय, पुलिस स्टेशन, नगर परिषद, नगर विकास न्यास, जिला परिषद, डीटीओ कहने का भाव किसी भी सरकारी कार्यालय से किसी भी प्रकार का काम है तो आप अगर वीआईपी श्रेणी के हैं अथवा किसी वीआईपी श्रेणी के व्यक्ति/ नेता से संबंध रखते हैं तो ही आपका कार्य प्राथमिकता से होगा वरना भाड़ में जाओ लगभग ऐसा ही व्यवहार सभी सरकारी संस्थाओं में आमजन के साथ होता है। कहने का अर्थ हुआ अगर कोई भी सुविधा चाहिए तो वह मात्र इन वीवीआईपी लोगों अथवा नेताओं के हिस्से में जाती है आमजन तो मात्र इनके लिए टैक्स देने वाली भेड़-बकरियां हैं। डीजल-पेट्रोल, गैस जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर भारी टैक्स लगाकर आमजन की जेब काटकर बड़े उद्योगपतियों की जेब भरने का कार्य सरकार कर रही है न कि आमजन को कोई लाभ पहुंचाने का। हमें जागरुक होना होगा अपने अधिकारों के लिए अपने आत्मसम्मान के लिए। राजनीति से ऐसे लोगों को अब रिटायर करने का वक्त आ गया है जो लोग आपकी भावनाओं से खेल रहे हैं। जागरुक बने पढ़े-लिखे ईमानदार लोगों को राजनीति में लाएं।